RESEARCH PAPER
1. योजना का शीर्षक - माध्यमिक स्तर पर, माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच को समझने तथा रेखाचित्र के निर्माण में आ रही समस्या व समाधान।
सारांश
प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के अर्न्तगत माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारण को सीखने तथा उनके शैक्षणिक उपलब्धि में वृद्धि के प्रभाव का अध्ययन करना है। इसके लिए शोधकर्ता हेतू जनपद हरिद्वार में विकासखड़ - बहादराबाद के अन्तर्गत राजकीय इण्टर कालेज भेल के कक्षा 12 में अध्ययनरत 30 विद्यार्थियों (बालक-12, बालिका-18) को सम्मिलित किया गया है। न्यादर्श उपलब्धि का मापन करने के लिए शोधकर्ता शिक्षक द्वारा स्वनिर्मित उपलब्धि प्रश्नावली का निर्माण किया गया। शोधकर्ता शिक्षक द्वारा शोधपूर्ण प्रशिक्षण किया गया तथा योजना के क्रियाव्यन के बाद पुनेः प्रशिक्षण किया गया।
शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर शोध का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई। माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के सभी सम्बोधों एव उपसम्बोधों को इस विधि से पढ़ाने पर विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि जाग्रत की जा सकती है। विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर मिला है। अतः गुणवतापूर्वक शिक्षा के लिए विद्यार्थियों के अनुरूप विभिन्न क्रियाकलापों की आवश्यक्ता है। विद्यार्थियों के अनुरूप कक्षा में वास्ताविक जीवन से जुडे क्रियाकल्पों तथा खेल एवंम नवचारी शिक्षण की आवश्यक्ता है। राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति, रटन प्रणाली से मुक्ती, समझ प्रणाली का निर्माण आदि।
प्रस्तावना - किसी भी समाज व राष्ट्र का विकास उसके प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों पर निर्भर करता है। शिक्षा मानव संसाधन के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज विद्यालयों को मानव संसाधनों के निर्माण की दिशा में एक बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह करना है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है। वह विद्यार्थियों की मूल प्रवृत्तियों में परिमार्जन करके उन्हें एक कुशल और सम्भ नागरिक के रूप में परिवर्तन करता है। आज के बालक कल के नागरिक होगें और किसी भी राष्ट्र का भविष्य उन्हीं से जुड़ा होगा। अतः शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह बालकों की निम्न शैक्षिक सम्प्राप्ति के कारणों को जाने तथा उनको दूर करने का हर सम्भव प्रयास करे ताकि वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आने वाली कठिनाईयों को पूरे आत्म विश्वास के साथ हल करने का हर सम्भव प्रयास करे सकें तभी हम एक स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की कल्पना कर सकते है।
बच्चों के मानसिक एवं व्यक्तित्व के विकास मे विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा बच्चों में जागरूकता के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान तथा तार्किक क्षमताओं को विकसित करने का अवसर प्रदान करती है। शिक्षा का स्तर ऐसा होना चाहिए कि विद्यालय की गतिविधियां बच्चों में आत्मविश्वास एवं आत्म निर्भरता की भावना उत्पन्न करते हुए सामुदायिक विकास एवं राष्ट्र की उन्नति में योगदान करे।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुंसधान एवं प्रशिक्षण परिषद् NCERT नई दिल्ली के द्वारा NCF 2005 के आलोक में कक्षा XI से XII की पाठ्य पुस्तकों को इस प्रकार विकसित किया गया है कि विद्यार्थी रटने वाली प्रवृत्ति की अपेक्षा बोध के साथ अपेक्षित ज्ञान प्राप्त कर सके, मात्र किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रहकर समाज मे विभिन्न परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी महŸवपूर्ण भूमिका निभा सकें। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 सुझाती है कि बच्चों के ज्ञान को बाहर के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए। विद्यार्थियों को कल्पना व मौलिक लेखन के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार अध्यापकों को बच्चों की कल्पनाशील गतिविधियों और सवालों की मदद से सीखने और सीखने के दौरान अपने अनुभवों पर विचार करने का अवसर प्रदान करती है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार बालक के ज्ञान, अन्तःशाक्त, प्र्रतिभा का विकास करना करना चाहिए। बालक को भय और चिंतामुक्त बनाना और बालक को स्वतंत्र रूप से मत व्यक्त करने में सहायता करनी चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के अनुसार अधिक समग्र, अनुभव, विचार-विमर्श तथा विशलेषण आधारित सीखने के लिए हमें मूलभूत केन्द्रीय विषय-वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। पुरे शिक्षाक्र में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना और प्रमाणों पर आधारित चिंतन को विद्यार्थियों में बढावा देना है। समस्या-समाधान, तार्किक चिंतन, शिक्षा में खेल, पहेली, समस्या-समाधान की गतिविधियाँ शामिल करना है। इसके साथ डिजिटल साक्षरता, समन्वयन और कम्प्युटेशनल चिंतन का भी विकास करना है।
“The best research will give the best teaching and the best teaching will give the best research” Dr. APJ Abdul Kalam
“Research shows that there is only half as much variation in student achievement between schools as there is among classrooms in the same school. If you want your child to get the best education possible, it is actually more important to get him assigned to a great teacher than to a great school” BillGates
शोध
योजना का शीर्षक - माध्यमिक स्तर पर, माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच को समझने तथा रेखाचित्र के निर्माण में आ रही समस्या व समाधान।
अनुसंधानकर्ता - प्रदीप नेगी
प्रवक्ता - अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
विकासखण्ड - बहादराबाद
उतरखण्ड
1. योजना की पृष्ठभूमि - माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय को पढ़ाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों के व्यवहार में सकरात्मक परिवर्तन लाने के साथ-साथ उनकी मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास करना है। व्यवाहरिक जीवन में मृद्रा, व्यापार, बैंको, बाजार आदि की जानकारी होने पर जीविकोपार्जन करने में कठिनाई का अनुभव न हो।
परंपरागत शिक्षण पद्धति के कारण अर्थशास्त्र विषय विद्यार्थियों के लिए एक कठिन विषय बन गया है। गणितिय समिकरण तथा रेखाचित्रों के निर्माण के प्रति विद्यार्थियों में विषय के प्रति अरूचि देखी गई है। खासकार बालिकाओं में अर्थशास्त्र विषय के प्रति उदासीनता जादा रहती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में परंपरागत शिक्षण पद्धति माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों की आवश्यकताओं व आकांशाओं के अनुरूप नहीं है। राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार में कक्षा 12 के विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप तथा पूर्व ज्ञान के अधार पर पता चला की माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा तथा रेखाचित्रों के निर्माण आदि की स्पष्ट जानकारी नहीं है। कक्षा - 12 में अध्ययनरत विद्यार्थियों को माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच को समझने तथा रेखाचित्र को बनाने से अवगत होना अति आवश्यक है। सभी विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वह माँग से संबन्धित सभी प्रकार समस्या तथा रेखाचित्र आदि के निर्माण में दक्षता प्राप्त कर सके।
2. शोध अध्ययन की आवश्यक्ता - शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है। इसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास उसके ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और उसे सभ्य सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। आज किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला वहीँ उपलब्ध शिक्षा के स्तर पर निर्भर करता है। अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो हमारे जीवन में प्रारम्भ से अन्त तक के जीवन के हर क्षेत्र को स्पर्श करता है परन्तु प्रायः ऐसा देखा जाता है कि छात्र एवं छात्रायें माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र में किइनाईयों का अनुभव करने लगते है जबकि अर्थशास्त्र को पाठयवस्तु की सरलता की द्ष्टि से यदि अवलोकन किया जाये तो यह सबसे सरल है। छात्रों को स्वावलम्बी बनाकर स्वाभिमान के साथ समाज की मुख्य धारा से जोड़ना एवं राष्ट्र की उन्नति में उनका सहभाग बढ़ाना है।
अर्थशास्त्र विषय में गणितीय सकल्पानाएँ तथा रेखचित्र होने के कारण विद्यार्थियों को इसे समझने में कठिनाइयाँ आती है। अतः उन्होनें कामजोर छात्रों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखते हुए ऐसी शैक्षणिक गतिविधि को अपनाया जिससे प्रत्यके छात्र/छात्राओं को सरलता तथा रूचिपूर्ण तरीके से संबोंध की दक्षता प्राप्त हो सके।
विगत माह संपन्न हुई मासिक तथा अद्धवार्षिक परीक्षा में कक्षा 12 के विद्यार्थियों की अर्थशास्त्र विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के उपरान्त ज्ञात हुआ की विद्यार्थियों को माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारण को ठीक से समझ नहीं सके और रेखचित्रों के निर्माण में बड़ी गलती करते है। इस समस्या के समाधान को गतिविधि तथा प्रदर्शन आधारित शिक्षण विधि के माध्यम से शोध किया जा रहा है।
यह शोध विद्यार्थियों में शैक्षिक अभिवृद्धि करने एवं उनकी कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। विद्यार्थियों में अर्थशास्त्र के प्रति रूचि बढ़ेगी, जिसका लाभ विद्यार्थी, शिक्षक और विद्यालय सभी को प्राप्त हो सकेगा।
3. शोध के उद्देश्य -
आज माध्यमिक स्तर पर कला वर्ग में अर्थशास्त्र विषय को सबसे कठिन माना जाता है जबकि यह एक ऐसा विषय है जिसमें छात्र किसी भी क्षेत्र की आर्थिक समस्या का समाधान खोज सकते है। प्रस्तुत शोध समस्या से सम्बन्धित निम्नलिखित उद्देश्य निश्चित किये गये है -
5. समस्या का क्षेत्र - माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र से संबंधित।
6. समस्या का विशिष्ट रूप - राजकीय इण्टर कालेज भेल, विकासखण्ड - बहादरबाद, जनपद हरिद्वार से कक्षा 12 में अध्ययनरत 30 विद्यार्थियों (बालक-12, बालिका-18) में से माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा और रेखाचित्र के निर्माण की जानकारी न होने की समस्या का अध्ययन करना एवं उसमें सुधार करना है।
7. शोध उपकरण - पस्तुत शोध के लिए शोधकर्ता ने निम्नलिखित शोध उपकरणों का प्रयोग किया है।
1. पूर्व परीक्षण मापन - शोध अध्ययन के संचालन से पहले विद्यार्थियों की अर्थशास्त्र विषय पर शैक्षिक उपलब्धि स्तर जाँचने के लिए परीक्षण प्रश्न पत्र का स्वयं निर्माण किया गया। जिसमें माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा से संबन्धित विभिन्न प्रकार के प्रश्न (बहुविकल्प, अति लधु, लधु तथा विस्तृत उŸारीय, रिक्त स्थान और रेखाचित्र का निर्माण) सम्मिलित किए गये। प्रश्नों को बोधात्मक, ज्ञानात्मक व अनुप्रयोगत्मक तीन वर्गो में विभाजित किया गया।
2. शोध शिक्षण करने के पश्चात अर्थशास्त्र विषय पर शिक्षण अधिगम उपलब्धि स्तर में वृद्धि के परीक्षण के लिए पुनः पश्चपोषण परीक्षण प्रश्न पत्र निधार्रित मानक के आधार पर शोधकर्ता द्वारा स्वयं निर्मित किय गया।
8. शोध परिकल्पना - प्रस्तुत शोध में शोधकर्ता के द्वारा चयनित शोध समस्या के कारणों के विश्लेषण के आधार पर निम्नलिखित परिकल्पनाँए सम्मिलित की गई है।
1. अर्थशास्त्र विषय में माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच की विषय वस्तु तथा विभिन्न माँग की कीमत लोच के प्रकार के अन्तर को नहीं समझ सकते।
गतिविधियाँ- शोधकर्ता द्वारा विधार्थियों को माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा को समझाने के लिए Black board तथा ICT Tools का प्रयोग किया गया। शोधकर्ता ने Black Board में रेखाचित्रों के माध्यम से विषय वस्तु की जटिल अवधारणा को सपष्ट किया जायेगा तथा Multimedia tools (PPT/Video/Quiz) के माध्यम से विषय वस्तु की जानकारी तथा उसमें बनने वाले रेखाचित्रों को ।Animation के माध्यम से रोचक तरिके से समझाया जायेगा।
2. माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच में विभिन्न प्रकार के रेखाचित्रों को ठीक से नहीं बना पाते।
गतिविधियाँ- विषय वस्तु के अर्न्तगत विभिन्न प्रकार से बनने वाल रेखाचित्रों को शोधकर्ता द्वारा विद्यार्थियों को श्यामपटट पर उसका अभ्यास कराया जायेगा तथा Group Activity के माध्यम से छात्रों को रेखाचित्रों का निर्माण Graph Paper पर बनाने का प्रयास कराया जायेगा। विद्यार्थियों के मूल्यांकन के आधार पर Mixed Learning Group तैयार किये जायेगे और प्रत्येक समूह में एक Leader की व्यवस्था की जायेगी जो विषयगत कमजोर छात्रों की प्रत्येक स्तर पर सहयता कर सकेगें। इस प्रक्रिया के परिणाम सकरात्मक रहेगें।
आंकडों का संकलन तथा मूल्यांकन -
प्रस्तुत शोधकार्य से पूर्व, मध्य और पश्चात परीक्षण से प्राप्त आंकडों का तुलनात्मक विवरण -
विषय - अर्थशास्त्र सम्बोध - माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच पूर्णाक - 50
सारणी - 1
प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के अर्न्तगत माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारण को सीखने तथा उनके शैक्षणिक उपलब्धि में वृद्धि के प्रभाव का अध्ययन करना है। इसके लिए शोधकर्ता हेतू जनपद हरिद्वार में विकासखड़ - बहादराबाद के अन्तर्गत राजकीय इण्टर कालेज भेल के कक्षा 12 में अध्ययनरत 30 विद्यार्थियों (बालक-12, बालिका-18) को सम्मिलित किया गया है। न्यादर्श उपलब्धि का मापन करने के लिए शोधकर्ता शिक्षक द्वारा स्वनिर्मित उपलब्धि प्रश्नावली का निर्माण किया गया। शोधकर्ता शिक्षक द्वारा शोधपूर्ण प्रशिक्षण किया गया तथा योजना के क्रियाव्यन के बाद पुनेः प्रशिक्षण किया गया।
शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर शोध का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई। माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के सभी सम्बोधों एव उपसम्बोधों को इस विधि से पढ़ाने पर विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि जाग्रत की जा सकती है। विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर मिला है। अतः गुणवतापूर्वक शिक्षा के लिए विद्यार्थियों के अनुरूप विभिन्न क्रियाकलापों की आवश्यक्ता है। विद्यार्थियों के अनुरूप कक्षा में वास्ताविक जीवन से जुडे क्रियाकल्पों तथा खेल एवंम नवचारी शिक्षण की आवश्यक्ता है। राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति, रटन प्रणाली से मुक्ती, समझ प्रणाली का निर्माण आदि।
प्रस्तावना - किसी भी समाज व राष्ट्र का विकास उसके प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों पर निर्भर करता है। शिक्षा मानव संसाधन के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज विद्यालयों को मानव संसाधनों के निर्माण की दिशा में एक बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह करना है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है। वह विद्यार्थियों की मूल प्रवृत्तियों में परिमार्जन करके उन्हें एक कुशल और सम्भ नागरिक के रूप में परिवर्तन करता है। आज के बालक कल के नागरिक होगें और किसी भी राष्ट्र का भविष्य उन्हीं से जुड़ा होगा। अतः शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह बालकों की निम्न शैक्षिक सम्प्राप्ति के कारणों को जाने तथा उनको दूर करने का हर सम्भव प्रयास करे ताकि वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आने वाली कठिनाईयों को पूरे आत्म विश्वास के साथ हल करने का हर सम्भव प्रयास करे सकें तभी हम एक स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की कल्पना कर सकते है।
बच्चों के मानसिक एवं व्यक्तित्व के विकास मे विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा बच्चों में जागरूकता के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान तथा तार्किक क्षमताओं को विकसित करने का अवसर प्रदान करती है। शिक्षा का स्तर ऐसा होना चाहिए कि विद्यालय की गतिविधियां बच्चों में आत्मविश्वास एवं आत्म निर्भरता की भावना उत्पन्न करते हुए सामुदायिक विकास एवं राष्ट्र की उन्नति में योगदान करे।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुंसधान एवं प्रशिक्षण परिषद् NCERT नई दिल्ली के द्वारा NCF 2005 के आलोक में कक्षा XI से XII की पाठ्य पुस्तकों को इस प्रकार विकसित किया गया है कि विद्यार्थी रटने वाली प्रवृत्ति की अपेक्षा बोध के साथ अपेक्षित ज्ञान प्राप्त कर सके, मात्र किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रहकर समाज मे विभिन्न परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी महŸवपूर्ण भूमिका निभा सकें। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 सुझाती है कि बच्चों के ज्ञान को बाहर के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए। विद्यार्थियों को कल्पना व मौलिक लेखन के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार अध्यापकों को बच्चों की कल्पनाशील गतिविधियों और सवालों की मदद से सीखने और सीखने के दौरान अपने अनुभवों पर विचार करने का अवसर प्रदान करती है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार बालक के ज्ञान, अन्तःशाक्त, प्र्रतिभा का विकास करना करना चाहिए। बालक को भय और चिंतामुक्त बनाना और बालक को स्वतंत्र रूप से मत व्यक्त करने में सहायता करनी चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के अनुसार अधिक समग्र, अनुभव, विचार-विमर्श तथा विशलेषण आधारित सीखने के लिए हमें मूलभूत केन्द्रीय विषय-वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। पुरे शिक्षाक्र में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना और प्रमाणों पर आधारित चिंतन को विद्यार्थियों में बढावा देना है। समस्या-समाधान, तार्किक चिंतन, शिक्षा में खेल, पहेली, समस्या-समाधान की गतिविधियाँ शामिल करना है। इसके साथ डिजिटल साक्षरता, समन्वयन और कम्प्युटेशनल चिंतन का भी विकास करना है।
“The best research will give the best teaching and the best teaching will give the best research” Dr. APJ Abdul Kalam
“Research shows that there is only half as much variation in student achievement between schools as there is among classrooms in the same school. If you want your child to get the best education possible, it is actually more important to get him assigned to a great teacher than to a great school” BillGates
शोध
योजना का शीर्षक - माध्यमिक स्तर पर, माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच को समझने तथा रेखाचित्र के निर्माण में आ रही समस्या व समाधान।
अनुसंधानकर्ता - प्रदीप नेगी
प्रवक्ता - अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
विकासखण्ड - बहादराबाद
उतरखण्ड
1. योजना की पृष्ठभूमि - माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय को पढ़ाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों के व्यवहार में सकरात्मक परिवर्तन लाने के साथ-साथ उनकी मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास करना है। व्यवाहरिक जीवन में मृद्रा, व्यापार, बैंको, बाजार आदि की जानकारी होने पर जीविकोपार्जन करने में कठिनाई का अनुभव न हो।
परंपरागत शिक्षण पद्धति के कारण अर्थशास्त्र विषय विद्यार्थियों के लिए एक कठिन विषय बन गया है। गणितिय समिकरण तथा रेखाचित्रों के निर्माण के प्रति विद्यार्थियों में विषय के प्रति अरूचि देखी गई है। खासकार बालिकाओं में अर्थशास्त्र विषय के प्रति उदासीनता जादा रहती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में परंपरागत शिक्षण पद्धति माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों की आवश्यकताओं व आकांशाओं के अनुरूप नहीं है। राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार में कक्षा 12 के विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप तथा पूर्व ज्ञान के अधार पर पता चला की माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा तथा रेखाचित्रों के निर्माण आदि की स्पष्ट जानकारी नहीं है। कक्षा - 12 में अध्ययनरत विद्यार्थियों को माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच को समझने तथा रेखाचित्र को बनाने से अवगत होना अति आवश्यक है। सभी विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वह माँग से संबन्धित सभी प्रकार समस्या तथा रेखाचित्र आदि के निर्माण में दक्षता प्राप्त कर सके।
2. शोध अध्ययन की आवश्यक्ता - शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है। इसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास उसके ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और उसे सभ्य सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। आज किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला वहीँ उपलब्ध शिक्षा के स्तर पर निर्भर करता है। अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो हमारे जीवन में प्रारम्भ से अन्त तक के जीवन के हर क्षेत्र को स्पर्श करता है परन्तु प्रायः ऐसा देखा जाता है कि छात्र एवं छात्रायें माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र में किइनाईयों का अनुभव करने लगते है जबकि अर्थशास्त्र को पाठयवस्तु की सरलता की द्ष्टि से यदि अवलोकन किया जाये तो यह सबसे सरल है। छात्रों को स्वावलम्बी बनाकर स्वाभिमान के साथ समाज की मुख्य धारा से जोड़ना एवं राष्ट्र की उन्नति में उनका सहभाग बढ़ाना है।
अर्थशास्त्र विषय में गणितीय सकल्पानाएँ तथा रेखचित्र होने के कारण विद्यार्थियों को इसे समझने में कठिनाइयाँ आती है। अतः उन्होनें कामजोर छात्रों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखते हुए ऐसी शैक्षणिक गतिविधि को अपनाया जिससे प्रत्यके छात्र/छात्राओं को सरलता तथा रूचिपूर्ण तरीके से संबोंध की दक्षता प्राप्त हो सके।
विगत माह संपन्न हुई मासिक तथा अद्धवार्षिक परीक्षा में कक्षा 12 के विद्यार्थियों की अर्थशास्त्र विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के उपरान्त ज्ञात हुआ की विद्यार्थियों को माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारण को ठीक से समझ नहीं सके और रेखचित्रों के निर्माण में बड़ी गलती करते है। इस समस्या के समाधान को गतिविधि तथा प्रदर्शन आधारित शिक्षण विधि के माध्यम से शोध किया जा रहा है।
यह शोध विद्यार्थियों में शैक्षिक अभिवृद्धि करने एवं उनकी कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। विद्यार्थियों में अर्थशास्त्र के प्रति रूचि बढ़ेगी, जिसका लाभ विद्यार्थी, शिक्षक और विद्यालय सभी को प्राप्त हो सकेगा।
3. शोध के उद्देश्य -
आज माध्यमिक स्तर पर कला वर्ग में अर्थशास्त्र विषय को सबसे कठिन माना जाता है जबकि यह एक ऐसा विषय है जिसमें छात्र किसी भी क्षेत्र की आर्थिक समस्या का समाधान खोज सकते है। प्रस्तुत शोध समस्या से सम्बन्धित निम्नलिखित उद्देश्य निश्चित किये गये है -
- विद्यार्थियों में अर्थशास्त्र विषय के प्रति रूचि में वृद्धि हो सकेगी।
- विद्यार्थियों में माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा स्पष्ट हो सकेगी।
- विद्यार्थियों में माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच में बनने वाले रेखाचित्रों को बनाने में दक्ष हो सकेगें।
- विद्यार्थी माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच से सम्बन्धि प्रश्नों को हल करने में दक्ष हो सकेगें।
- विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में माँग तथा कीमत लोच के अनुप्रयोग सीख सकेगें।
- विधार्थियों में समस्या समाधान, चिन्तन व सृजनात्मकता सोच विकसित करना तथा शैक्षिक अभिवृद्धि में सुधार हो सकेगा।
- विद्यार्थियों में सामाजिकता, सहभागिता व अनुप्रयोगात्मक योग्यता, कल्पना व मौलिक लेखन में वृद्धि के साथ शैक्षिक उपलब्धि स्तर में वृद्धि हो सकेगी।
5. समस्या का क्षेत्र - माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र से संबंधित।
6. समस्या का विशिष्ट रूप - राजकीय इण्टर कालेज भेल, विकासखण्ड - बहादरबाद, जनपद हरिद्वार से कक्षा 12 में अध्ययनरत 30 विद्यार्थियों (बालक-12, बालिका-18) में से माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा और रेखाचित्र के निर्माण की जानकारी न होने की समस्या का अध्ययन करना एवं उसमें सुधार करना है।
7. शोध उपकरण - पस्तुत शोध के लिए शोधकर्ता ने निम्नलिखित शोध उपकरणों का प्रयोग किया है।
1. पूर्व परीक्षण मापन - शोध अध्ययन के संचालन से पहले विद्यार्थियों की अर्थशास्त्र विषय पर शैक्षिक उपलब्धि स्तर जाँचने के लिए परीक्षण प्रश्न पत्र का स्वयं निर्माण किया गया। जिसमें माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा से संबन्धित विभिन्न प्रकार के प्रश्न (बहुविकल्प, अति लधु, लधु तथा विस्तृत उŸारीय, रिक्त स्थान और रेखाचित्र का निर्माण) सम्मिलित किए गये। प्रश्नों को बोधात्मक, ज्ञानात्मक व अनुप्रयोगत्मक तीन वर्गो में विभाजित किया गया।
2. शोध शिक्षण करने के पश्चात अर्थशास्त्र विषय पर शिक्षण अधिगम उपलब्धि स्तर में वृद्धि के परीक्षण के लिए पुनः पश्चपोषण परीक्षण प्रश्न पत्र निधार्रित मानक के आधार पर शोधकर्ता द्वारा स्वयं निर्मित किय गया।
8. शोध परिकल्पना - प्रस्तुत शोध में शोधकर्ता के द्वारा चयनित शोध समस्या के कारणों के विश्लेषण के आधार पर निम्नलिखित परिकल्पनाँए सम्मिलित की गई है।
1. अर्थशास्त्र विषय में माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच की विषय वस्तु तथा विभिन्न माँग की कीमत लोच के प्रकार के अन्तर को नहीं समझ सकते।
गतिविधियाँ- शोधकर्ता द्वारा विधार्थियों को माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच की अवधारणा को समझाने के लिए Black board तथा ICT Tools का प्रयोग किया गया। शोधकर्ता ने Black Board में रेखाचित्रों के माध्यम से विषय वस्तु की जटिल अवधारणा को सपष्ट किया जायेगा तथा Multimedia tools (PPT/Video/Quiz) के माध्यम से विषय वस्तु की जानकारी तथा उसमें बनने वाले रेखाचित्रों को ।Animation के माध्यम से रोचक तरिके से समझाया जायेगा।
2. माँग के नियम तथा माँग की कीमत लोच में विभिन्न प्रकार के रेखाचित्रों को ठीक से नहीं बना पाते।
गतिविधियाँ- विषय वस्तु के अर्न्तगत विभिन्न प्रकार से बनने वाल रेखाचित्रों को शोधकर्ता द्वारा विद्यार्थियों को श्यामपटट पर उसका अभ्यास कराया जायेगा तथा Group Activity के माध्यम से छात्रों को रेखाचित्रों का निर्माण Graph Paper पर बनाने का प्रयास कराया जायेगा। विद्यार्थियों के मूल्यांकन के आधार पर Mixed Learning Group तैयार किये जायेगे और प्रत्येक समूह में एक Leader की व्यवस्था की जायेगी जो विषयगत कमजोर छात्रों की प्रत्येक स्तर पर सहयता कर सकेगें। इस प्रक्रिया के परिणाम सकरात्मक रहेगें।
आंकडों का संकलन तथा मूल्यांकन -
प्रस्तुत शोधकार्य से पूर्व, मध्य और पश्चात परीक्षण से प्राप्त आंकडों का तुलनात्मक विवरण -
विषय - अर्थशास्त्र सम्बोध - माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच पूर्णाक - 50
सारणी - 1
आँकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण -
सारणी - 2 के अनुसार शोध के क्रियान्वयन से पूर्व, मध्य एवं पश्चात् परीक्षण से प्राप्त आँकडों के मध्यमानों को दर्शाया गया है।
1. सारणी 2 से स्पष्ट है कि शोध के क्रियान्वयन के पश्चात् परीक्षण का मध्यमान 33.17 शोध मध्य में मध्यमान 26.33 और पूर्व परीक्षण के मध्यमान 21 से अधिक है।
2. अर्थशास्त्र विषय में गतिविधि तथा प्रर्दशन आधारित शिक्षण का विद्यार्थियों की अधिगम उपलब्धि स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3. तीनों ही परीक्षणों में छात्राओं का प्राप्तकों का मध्यमान छात्रों से अधिक है।
4. शोध कार्य के संचालन के उपरांत उपलब्धि परीक्षण से प्राप्त आँकडों को ग्राफ से दर्शाया गया है।
सारणी - 2 के अनुसार शोध के क्रियान्वयन से पूर्व, मध्य एवं पश्चात् परीक्षण से प्राप्त आँकडों के मध्यमानों को दर्शाया गया है।
1. सारणी 2 से स्पष्ट है कि शोध के क्रियान्वयन के पश्चात् परीक्षण का मध्यमान 33.17 शोध मध्य में मध्यमान 26.33 और पूर्व परीक्षण के मध्यमान 21 से अधिक है।
2. अर्थशास्त्र विषय में गतिविधि तथा प्रर्दशन आधारित शिक्षण का विद्यार्थियों की अधिगम उपलब्धि स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3. तीनों ही परीक्षणों में छात्राओं का प्राप्तकों का मध्यमान छात्रों से अधिक है।
4. शोध कार्य के संचालन के उपरांत उपलब्धि परीक्षण से प्राप्त आँकडों को ग्राफ से दर्शाया गया है।
चित्र द्वारा प्रर्दशन
निष्कर्ष - प्रस्तुत शोध अध्ययन के आँकडों के तुलनात्मक विश्लेषण से स्पष्ट कि अर्थशास्त्र विषय में गतिविधि आधारित तथा प्रदर्शन विधि के माध्यम से विद्यार्थियों के अधिगम उपलब्धि स्तर में वृद्वि हो सकती है। यह विधि विद्यार्थियों में विषय सम्बोध के प्रति रूचि उत्पन्न करती हैं। यह विधि बच्चों को सोचने और अवधारणाओं के साथ जूझने का अवसर प्रदान करती है। विद्याथिं में अर्थशास्त्र विषय में रेखीय चित्रों के निर्माण में योग्यताओं का विकास होता है। अर्जित ज्ञान स्थाई होता है और छात्रों में आत्मविश्वास एवं सहभागिता में वृद्वि होती है।
शैक्षिक निहितार्थ - प्रस्तुत शोध के आंकडो के विश्लेषण एवं मूल्यांकन परिणाम से यह स्पष्ट कि यह शोध अन्य विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगि है। गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि आधारित शिक्षण से छात्रों में अनियमितता की समस्या, विषय के प्रति उदासीनता, निरसता आदि की सोच में कमी होगी। यह शिक्षण विधि विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी उपयोगी है। इस विधि से शिक्षकों को शिक्षण कराने में विद्यार्थियों का भरपूर सहयोग मिलेगा। छात्रों में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होगा और विद्यालय के शैक्षिक उपलब्धि स्तर एंव वातावरण में भी प्रगति होगी।
शैक्षिक सुधार हेतु सुझाव - प्रस्तुत शोध, शोधकर्ता के लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा है। शोध के दौरान विद्यार्थियों की व्यक्तिगत समस्याओं एवं कठिनाइयों तथा विद्यालय संसाधन एवं अभिभावकों की उदासीनता आदि की जानकारी प्राप्त हुई। इस को ध्यान में रखते हुये निम्न सुझाव इस प्रकार है-
विषय अध्यापक को सुगमकर्ता की तरह कार्य करना चाहिए। उसे विद्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं करना चाहिए। विद्यार्थियों की समस्याओं का निराकरण करके उनको सदैव प्रेरित करते रहना चहिए। विद्यालय में अपने विषय से संबन्धित नवाचार गतिविधियों पर आधारित शिक्षण कार्य करते रहना चाहिए।
भावी योजना का निर्माण - प्रस्तुत शोध करने से शोधकार्ता के अन्दर विषय को और रूचिर्पूण बनाने के लिए क्रियात्मक सोच उत्पन्न हुई है।
1. नवाचारी कार्ययोजना - शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय की बुनियादी अवधारणाओं को रोचक बनाने के लिऐ आई0सी0टी0 टूल्स तकनीकि का प्रयोग करेगा। इसके प्रयोग से शिक्षण कार्य के स्तर में व्यापक सुधार होता है और विद्यार्थियों को संबोधों को समझने में आसानी होती है। प्रोजेक्टर, मोबाईल, इन्टरनेट, मल्टीमीडिया सॉॅफ्टवेअर आदि की सहायता से शिक्षण कार्य को प्रभावशाली तथा आकर्षक बनाया जायेगा। शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय में माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की जटिल अवधारणाओं को रोचक बनाने के लिए मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण तथा वीडियो और रेखाचित्रों को समझने के लिए Animation आदि का प्रयोग करेगा। शोधकर्त्ता विद्यार्थियों में सूचना प्रौद्यौगिकी की दक्षताओं का विकास (एक्सेल पर ग्राफ बनाना, प्रिंट निकालना, चित्रों का सम्पादन करना और डिजिटल रूपांकन तैयार करना आदि) करेगा।
2. विद्यार्थियों के मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास के लिए प्रत्येक संबोध के बाद उनका मूल्यांकन ऑनलाईन/आफलाईन (H5P & Google Form) बना कर करेगा। वे उपचारात्मक शिक्षण के लिए कार्ययोजना बना कर छात्रों में अपेक्षित सुधार लाने का प्रयास करेगा। शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र में वर्गमूल, समान्तर माध्य, मध्यिका, बहुलक, भारित समान्तर माध्य, प्रमाप विचलन, गुणांक, सहसंबंध आदि की गणना को समझने के लिए स्वनिर्मित मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण का निर्माण करेगा। इसके अतिरिक्त वे आँकडों का सारणीकरण, प्रस्तुतीकरण, ज्यमितीय आरेख, बारंबारता आरेख आदि के निमार्ण में GEOGABRA APP तथा EXCLE SOFTWARE आदि का प्रयोग करेगा। छात्र-छात्राओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से कम्प्यूटर लैब/Smart Class में इन प्रस्तुतीकरण को दिखायेगा।
3. इसके अतिरिक्त अगर संभव हो तो शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र की वेबसाईट या ब्लोग का निर्मार्ण हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में करेगा। वेबसाईट के माध्यम से शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय से संम्बन्धित वीडियो, चित्र, मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण, पाठ्यसहगामी क्रियाकलापों, Quiz, MCQ, Notes गत वर्षों के प्रश्न प्रत्र आदि को अपलोड़ करेगा। इसके साथ छात्र आधारित गतिविधियों को भी वेबसाईट पर अपलोड करेगा जिससे विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि बनी रहे।
4. शोधकर्ता विद्यार्थियों की दक्षता एंव संप्राप्ति स्तर को बढ़ाना के लिए क्रयात्मक तथा रचनात्मकता आधारित प्रोजेक्ट कार्य देगा। विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि, सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति को विकसित करने हेतु उन्हें परियोजना के माध्यम से जौड़ेगा। विद्यार्थी प्रोजेक्ट के माध्यम से सिखने में अधिक रुचि लेते हैं और इससे पठन्-पाठन में सहायता भी मिलती है। उनमें सीखने की प्रवृत्ति बनी रहती है उनकी क्रियात्मक क्षमताओं का विकास होता है व सामाजिक कार्यों में सहभागिता भी बनती है। इन प्रोजेक्ट को बनाने के लिए छात्र विभिन्न स्रातों से जानकारी प्राप्त करेगा और प्रोजेक्ट फाईल आदि का निर्माण करेगा।
5. अर्थशास्त्र विषय में सर्वेक्षण का प्रयोग करना। शोधकर्ता विषय को रोचक बनाने के लिए विद्यार्थियों को सर्वेक्षण कार्य देगा। जैसे (बाज़ार में वस्तुओं की कीमत, जनसंख्या, शेयर बाज़ार, बजट का प्रभाव, एम0डी0एम0 का सर्वेक्षण, ऑनलाईन सर्वेक्षण आदि) सर्वेक्षण कार्य से विद्यार्थी किसी भी प्रकार की समस्या को जानने, हल व तर्कपूर्ण तरीके से उसका समाधान खोज सकते है। इसके लिए विद्यार्थियों को सर्वेक्षण के लिए प्रश्नावली तैयार करना, ऑकड़ों को संग्रह करना, विशलेष, प्रस्तुतीकरण तथा समाधान करने की जानकारी शोधकर्ता द्वारा दी जायेगी।
6. शोधकर्ता विधार्थियों के लिए विषय आधारित ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों (कार्यशाला) का आयोजन करेगा। इन कार्यशाला के माध्यम से विद्याथियों अपने ज्ञान को एक दूसरे के साथ साझा करेगें। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों के माध्यम से जानकारी देना का प्रयास शोधकर्ता द्वारा किया जायेगा।
7. शोधकर्ता विद्यालय में उपल्बध आई0सी0टी0 टूल की सहायता से वीडियो कॉन्फ्रेन्स का आयोजन करेगा। वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से विद्यार्थियों को अन्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों/विषय विशेषज्ञों के साथ विषय से संबन्धित जानकारी को साझा करेगें। इस प्रकार की कार्यशाला से बच्चों में अति उत्साह रहता है और वे रूचिपूर्ण तरीके से अपने ज्ञान में वृद्वि कर सकते है।
संदर्भ स्रोत -
1. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा-2006, एन0सी0ई0आर0टी0 नई दिल्ली।
2. विद्यालय शिक्ष में गुणक्ता संवर्द्धन हेतु क्रियात्मक शोध उपागम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रूड़की, हरिद्वार (प्रकाशन वर्ष-2013)
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019
शैक्षिक निहितार्थ - प्रस्तुत शोध के आंकडो के विश्लेषण एवं मूल्यांकन परिणाम से यह स्पष्ट कि यह शोध अन्य विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगि है। गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि आधारित शिक्षण से छात्रों में अनियमितता की समस्या, विषय के प्रति उदासीनता, निरसता आदि की सोच में कमी होगी। यह शिक्षण विधि विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी उपयोगी है। इस विधि से शिक्षकों को शिक्षण कराने में विद्यार्थियों का भरपूर सहयोग मिलेगा। छात्रों में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होगा और विद्यालय के शैक्षिक उपलब्धि स्तर एंव वातावरण में भी प्रगति होगी।
शैक्षिक सुधार हेतु सुझाव - प्रस्तुत शोध, शोधकर्ता के लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा है। शोध के दौरान विद्यार्थियों की व्यक्तिगत समस्याओं एवं कठिनाइयों तथा विद्यालय संसाधन एवं अभिभावकों की उदासीनता आदि की जानकारी प्राप्त हुई। इस को ध्यान में रखते हुये निम्न सुझाव इस प्रकार है-
विषय अध्यापक को सुगमकर्ता की तरह कार्य करना चाहिए। उसे विद्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं करना चाहिए। विद्यार्थियों की समस्याओं का निराकरण करके उनको सदैव प्रेरित करते रहना चहिए। विद्यालय में अपने विषय से संबन्धित नवाचार गतिविधियों पर आधारित शिक्षण कार्य करते रहना चाहिए।
भावी योजना का निर्माण - प्रस्तुत शोध करने से शोधकार्ता के अन्दर विषय को और रूचिर्पूण बनाने के लिए क्रियात्मक सोच उत्पन्न हुई है।
1. नवाचारी कार्ययोजना - शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय की बुनियादी अवधारणाओं को रोचक बनाने के लिऐ आई0सी0टी0 टूल्स तकनीकि का प्रयोग करेगा। इसके प्रयोग से शिक्षण कार्य के स्तर में व्यापक सुधार होता है और विद्यार्थियों को संबोधों को समझने में आसानी होती है। प्रोजेक्टर, मोबाईल, इन्टरनेट, मल्टीमीडिया सॉॅफ्टवेअर आदि की सहायता से शिक्षण कार्य को प्रभावशाली तथा आकर्षक बनाया जायेगा। शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय में माँग का नियम तथा माँग की कीमत लोच की जटिल अवधारणाओं को रोचक बनाने के लिए मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण तथा वीडियो और रेखाचित्रों को समझने के लिए Animation आदि का प्रयोग करेगा। शोधकर्त्ता विद्यार्थियों में सूचना प्रौद्यौगिकी की दक्षताओं का विकास (एक्सेल पर ग्राफ बनाना, प्रिंट निकालना, चित्रों का सम्पादन करना और डिजिटल रूपांकन तैयार करना आदि) करेगा।
2. विद्यार्थियों के मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास के लिए प्रत्येक संबोध के बाद उनका मूल्यांकन ऑनलाईन/आफलाईन (H5P & Google Form) बना कर करेगा। वे उपचारात्मक शिक्षण के लिए कार्ययोजना बना कर छात्रों में अपेक्षित सुधार लाने का प्रयास करेगा। शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र में वर्गमूल, समान्तर माध्य, मध्यिका, बहुलक, भारित समान्तर माध्य, प्रमाप विचलन, गुणांक, सहसंबंध आदि की गणना को समझने के लिए स्वनिर्मित मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण का निर्माण करेगा। इसके अतिरिक्त वे आँकडों का सारणीकरण, प्रस्तुतीकरण, ज्यमितीय आरेख, बारंबारता आरेख आदि के निमार्ण में GEOGABRA APP तथा EXCLE SOFTWARE आदि का प्रयोग करेगा। छात्र-छात्राओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से कम्प्यूटर लैब/Smart Class में इन प्रस्तुतीकरण को दिखायेगा।
3. इसके अतिरिक्त अगर संभव हो तो शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र की वेबसाईट या ब्लोग का निर्मार्ण हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में करेगा। वेबसाईट के माध्यम से शोधकर्त्ता अर्थशास्त्र विषय से संम्बन्धित वीडियो, चित्र, मल्टीमीडिया प्रस्तुतीकरण, पाठ्यसहगामी क्रियाकलापों, Quiz, MCQ, Notes गत वर्षों के प्रश्न प्रत्र आदि को अपलोड़ करेगा। इसके साथ छात्र आधारित गतिविधियों को भी वेबसाईट पर अपलोड करेगा जिससे विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि बनी रहे।
4. शोधकर्ता विद्यार्थियों की दक्षता एंव संप्राप्ति स्तर को बढ़ाना के लिए क्रयात्मक तथा रचनात्मकता आधारित प्रोजेक्ट कार्य देगा। विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि, सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति को विकसित करने हेतु उन्हें परियोजना के माध्यम से जौड़ेगा। विद्यार्थी प्रोजेक्ट के माध्यम से सिखने में अधिक रुचि लेते हैं और इससे पठन्-पाठन में सहायता भी मिलती है। उनमें सीखने की प्रवृत्ति बनी रहती है उनकी क्रियात्मक क्षमताओं का विकास होता है व सामाजिक कार्यों में सहभागिता भी बनती है। इन प्रोजेक्ट को बनाने के लिए छात्र विभिन्न स्रातों से जानकारी प्राप्त करेगा और प्रोजेक्ट फाईल आदि का निर्माण करेगा।
5. अर्थशास्त्र विषय में सर्वेक्षण का प्रयोग करना। शोधकर्ता विषय को रोचक बनाने के लिए विद्यार्थियों को सर्वेक्षण कार्य देगा। जैसे (बाज़ार में वस्तुओं की कीमत, जनसंख्या, शेयर बाज़ार, बजट का प्रभाव, एम0डी0एम0 का सर्वेक्षण, ऑनलाईन सर्वेक्षण आदि) सर्वेक्षण कार्य से विद्यार्थी किसी भी प्रकार की समस्या को जानने, हल व तर्कपूर्ण तरीके से उसका समाधान खोज सकते है। इसके लिए विद्यार्थियों को सर्वेक्षण के लिए प्रश्नावली तैयार करना, ऑकड़ों को संग्रह करना, विशलेष, प्रस्तुतीकरण तथा समाधान करने की जानकारी शोधकर्ता द्वारा दी जायेगी।
6. शोधकर्ता विधार्थियों के लिए विषय आधारित ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों (कार्यशाला) का आयोजन करेगा। इन कार्यशाला के माध्यम से विद्याथियों अपने ज्ञान को एक दूसरे के साथ साझा करेगें। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों के माध्यम से जानकारी देना का प्रयास शोधकर्ता द्वारा किया जायेगा।
7. शोधकर्ता विद्यालय में उपल्बध आई0सी0टी0 टूल की सहायता से वीडियो कॉन्फ्रेन्स का आयोजन करेगा। वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से विद्यार्थियों को अन्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों/विषय विशेषज्ञों के साथ विषय से संबन्धित जानकारी को साझा करेगें। इस प्रकार की कार्यशाला से बच्चों में अति उत्साह रहता है और वे रूचिपूर्ण तरीके से अपने ज्ञान में वृद्वि कर सकते है।
संदर्भ स्रोत -
1. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा-2006, एन0सी0ई0आर0टी0 नई दिल्ली।
2. विद्यालय शिक्ष में गुणक्ता संवर्द्धन हेतु क्रियात्मक शोध उपागम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रूड़की, हरिद्वार (प्रकाशन वर्ष-2013)
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019
“A well-educated mind will always have more questions than answers” Helen Keller
“The aim of education should be to teach us rather how to think, than what to think — rather to improve our minds, so as to enable us to think for ourselves, than to load the memory with thoughts of other men” Bill Beattie
“The aim of education should be to teach us rather how to think, than what to think — rather to improve our minds, so as to enable us to think for ourselves, than to load the memory with thoughts of other men” Bill Beattie
2. ऑनलाईन शिक्षण कार्य पर ऑनलाईन शोध
अुसंधानकर्ता - प्रदीप नेगी
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
मोबाइल 9720893445
किसी भी समाज व राष्ट्र का विकास उसके प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों पर निर्भर करता है। शिक्षा मानव संसाधन के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज विद्यालयों को मानव संसाधनों के निर्माण की दिशा में एक बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह करना है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है। वह विद्यार्थियों की मूल प्रवृत्तियों में परिमार्जन करके उन्हें एक कुशल और सभ्य नागरिक के रूप में परिवर्तन करता है। आज के बालक कल के नागरिक होगें और किसी भी राष्ट्र का भविष्य उन्हीं से जुड़ा होगा। अतः शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह बालकों की निम्न शैक्षिक सम्प्राप्ति के कारणों को जाने तथा उनको दूर करने का हर सम्भव प्रयास करे ताकि वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आने वाली कठिनाईयों को पूरे आत्म विश्वास के साथ हल करने का हर सम्भव प्रयास करे सकें तभी हम एक स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की कल्पना कर सकते है।
शोध का मुख्य उद्देश्य -
प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य कोविड 19 महामारी के कारण बंद पड़े विद्यालयों के विद्यार्थियों में ऑनलाईन शिक्षा के अर्न्तगत उनके शैक्षणिक उपलब्धि पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना था। इसके साथ ऑनलाईन परीक्षा तथा विद्यार्थियों से लिए गये फिड-बैक के आधार पर ऑनलाईन शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करना और उसे रूचिपूर्ण बनाना था।
शोधकर्ता ने दिनांक 1 अप्रेल से 1 जनवरी 2021 बीच माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के अर्न्तगत ऑनलाईन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की रूचि, शैक्षिक सम्प्राप्ति स्तर, विषयगत संबोधों को समझने, तकनीकी शिक्षा का प्रयोग जैसे मौबाईल या लैपटैप पर ऑनलाईन पाठ्यवस्तु को पढ़ने व खोजने, नोट्स व वीडियों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने, ऑनलाईन कक्षाओं तथा परीक्षा में प्रतिभाग, सोशल मीडिया आदि के प्रयोग से उनके शैक्षणिक उपलब्धि में वृद्धि के प्रभाव का अध्ययन से सम्बन्धित ऑनलाईन शोध कार्य किया गया। उन्होंनें शोध कार्य के लिए पुरे राज्य से राजकीय तथा अशासकीय विद्यालयों से 490 से अधिक विद्यार्थियों का चयन किया जो कक्षा 12 में सक्रिय रूप से ऑनलाईन शिक्षण कार्यों में प्रतिभाग करते है। इसके लिए उन्होंनें गुगल फार्म में शोध कार्य के लिए प्रश्नवली तैयार की और उसे विभिन्न सोश्ल मीडिय और विषय अध्यापकों की सहयता से विद्यार्थियों तक पहॅुचाया।
आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण -
शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की ऑनलाईन शिक्षा से विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है अगर प्रत्येक दिन उनकी ऑनलाईन क्लासेस फेस टू फेस हो। इसके साथ अध्यापकों द्वारा ई-कंन्टेन्ट, नोटस, वीडियों और समय-समय पर ऑनलाईन परीक्षा का आयोजन करते रहे तो विद्यार्थी विद्यालय की तरह ही धर में सुरक्षित रह कर ऑनलाईन शिक्षा प्राप्त कर सकता है। विद्यालय, शिक्षक और अभिवकों को भी विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाईन शिक्षण कार्य की जानकारी होने के साथ उस पर पूर्ण नियंत्रण भी होना चाहिए। इसके साथ राज्य सरकारों और सरकारी विद्यालयों को भी ऑनलाईन शिक्षा प्रणाली को बेहतर विकल्प को मानते हुये अपने संसाधानों को बढ़ाना चाहिए। शिक्षकों को ऑनलाईन शिक्षा का उचित प्रशिक्षिण देना चाहिए और जरूरत मंद विद्यार्थियों को संसाधन उपल्बध करने चाहिए, जिससे प्रत्येक विद्यार्थी को गुणवŸापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।
ई-पाठशाला में लाइव क्लास व ऑनलाइन मूल्यॉकन
शोधकर्ता ने कोरोना महामारी की इस धड़ी में बच्चों को पढ़ाने के लिए ई-केन्टेन्ट तथा वीडियो कांफ्रिसिंग के माध्यम से नया तरीका खोज निकाला है जिसमें इंटरमीडिएट बोर्ड की कक्षओं के विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लास का आयोजन किया। जिसमें विद्यार्थियों को ऑनलाइन गृह कार्य, शिक्षक द्वारा तैयार किये गये ई-सम्रागी और ऑनलाईन मूल्यॉकन कार्य किया गया। वे छात्रों का व्हाट्सएप गुरूप बना कर उसमें वीडियों, नोटस आदि की जानकारी साज्ञा करते रहे। इसके साथ शोधकर्ता ने गुगल क्लास रूम, गुगल मीट तथा जूम एप के माध्यम से ऑनलाइन क्लास का संचालन भी किया जिसमें विद्यार्थी प्रत्येक्ष रूप से लाईव रहा कर शिक्षा प्राप्त करते थे। इसके साथ प्रत्यक विषय संबोध को पढ़ाने के बाद शोधकर्ता ऑनलाइन परीक्षा से छात्रों का मूल्यॉकन भी करते रहा। शोधकर्ता ने ऑनलाईन मूल्यॉकन के लिए गुगल फार्म, एच050पी0, मौबाईल ऐप आदि का प्रयोग किया। परीक्षा का लिंक ई-मेल और व्हाट्सएप पर विद्यार्थियों को भेजते थे। इसके शोधकर्ता ने एन0सी0और0टी0 द्वारा ई-पाठशाल, दिक्षा ऐप और गुरूशाला ऐप आदि के माध्यम से भी ऑनलाईन पाठ्यक्रम की भी जानकारी विद्यार्थियों को उपल्बध कराई।
शोधकर्ता ने 10 अप्रेल से 1 जनवरी तक सभी विद्यालय के अध्यापकों ने अपने विषय में ऑनलाईन शिक्षा देने का प्रयास किया है। इस को ध्यान में रखते हुये यह शोध कार्य किया गया की ऑनलाईन शिक्षण कार्यो का लाभ विद्यार्थियों को हुआ की नहीं। विद्यार्थियों से ऑनलाईन प्रश्नवाली के आधार पर पुछे गये प्रश्न से रोचक जानकरी प्राप्त हुई। शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर ऑनलाईन शिक्षा का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को नवचारी नई शैक्षिक तकनीकि के माध्यम से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई।
1. शोधकर्ता ने ऑनलाईन शिक्षण कार्य पर ऑनलाईन शोध के लिए उतराखण्ड के 13 जिलें से 449 और अन्य राज्य जैसे उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान के लगभग 41 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस प्रकार कुछ 490 विद्यार्थियों का चयन शोध कार्य के लिए किया गया।
2. ऑनलाईन शिक्षण कार्य में सबसे जादा हरिद्वार 27.6 तथा 24.4 अलमोड़ जिले के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
3. 62 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया की उन्हें अर्थशास्त्र की ऑनलाईन परीक्षा में प्रतिभाग करने में बड़ा मजा आया। 54 प्रतिशत विद्यार्थियों बताया की ऑनलाईन परीक्षा में साज्ञा किये गये वीडियों बहुत रूचिपूर्ण और बौधिक थे।
4. 93.1 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा की अगर दुबार अर्थशास्त्र की परीक्षा होगी तो वे अवश्य की प्रतिभाग करेगें। 85.3 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ऑनलाईन परीक्षा की जानकारी अपने विषय अध्यापक से प्राप्त की।
5. 95 प्रतिशत ने ऑनलाईन परीक्षा मौबाईल से, 2 प्रतिशत ने लैपटैब से और 1 प्रतिशत ने साईबर कैफे में जा कर ऑनलाईन परीक्षा दी।
6. 47.3 प्रतिशत ने बताया की उनकी यहॉ पर नेटवक्र ठीक रहता है, 22.9 प्रति0 विद्यार्थियो ने बताया की इन्टनेट बहुत स्लो रहता है वीडियों को देखने में समय लगता है और 10 प्रति0 विद्यार्थियों ने बताया की उन्हें ऑनलाईन परीक्षा तथा कार्य के लिए दूसरों के मौबाईल पर निर्भर रहना पड़ता है।
7. कोविड19 के समय विद्यालय बंद होने से विद्यार्थियों द्वारा 88.3 प्रतिशत व्हाट्सएप, 10 प्रतिशत गुगल मीट तथा जूम ऐप से ऑनलाईन शिक्षा प्राप्त की।
8. 54.2 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया की उनको कोपी या औफलाईन परीक्षा देना अच्छा लगाता है। 45.8 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ऑनलाईन परीक्षा देने अच्छा लगता है।
9. केवल 24.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की लोकडाउन के समय विद्यालय ने ऑनलाईन शिक्षण कार्यो के लिए उचित संसाधन उपल्ब कराये। 23.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की विद्यालय ने ऑनलाईन शिक्षण कार्यो के लिए बहुत कम सहयता की।
10. 40 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की ऑनलाईन शिक्षण कार्य में विषय अध्यापक का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण रहा।
11. 47.9 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे 1 से 2 धण्टे और 34.2 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे 2 से 3 धण्टे प्रत्येक दिन ऑनलाईन शिक्षण कार्य के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते है।
12. 60.4 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे अपने विषय अध्यापक द्वारा भेजे गये ई - सम्रागी का प्रयोग करते है। 23.3 प्रतिशत ने माना की वे यूटयूब से, 10 प्रतिशत ने शिक्षाप्रद वेबसाईट, 5 प्रतिशत ने ई बुक और बाकी ने गुगल तथा जूम क्लासेस को ऑनलाईन शिक्षा के लिए चुना।
13. इसके साथ विद्यार्थियों से पुछे गये ऑनलाईन शिक्षण कैसे बेहतर बनाने जा सकता है, मैं विद्यार्थियों ने बहुत रोचक तथा ज्ञानवर्धक जानकारी साझा की।
विषय को गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई। माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के सभी सम्बोधों एव उपसम्बोधों को इस विधि से पढ़ाने पर विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि जाग्रत की जा सकती है। विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर मिला है। अतः गुणवतापूर्वक शिक्षा के लिए विद्यार्थियों के अनुरूप विभिन्न क्रियाकलापों की आवश्यक्ता है। विद्यार्थियों के अनुरूप कक्षा में वास्ताविक जीवन से ,जुडे क्रियाकल्पों तथा खेल एवंम नवचारी शिक्षण की आवश्यक्ता है। राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति, रटन प्रणाली से मुक्ती, समझ प्रणाली का निर्माण आदि।
निष्कर्ष - कोविड19 के फलस्वरूप शिक्षा का एक मात्र विकल्प ऑनलाईन शिक्षा था। इसलिए शोधकर्ता ने इस विषय को चुना। शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर ऑनलाईन शिक्षा का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को नवचारी नई शैक्षिक तकनीकि के माध्यम से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि। कम संसाधनों तथा नई तकनीकि के माध्यम से अच्छी शिक्षा देना एक चुनौती था। ऑनलाईन शिक्षा, विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर प्रदान करती है और नई राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अनुकूल है।
प्रदीप नेगी
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
मोबाइल 9720893445
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
मोबाइल 9720893445
किसी भी समाज व राष्ट्र का विकास उसके प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों पर निर्भर करता है। शिक्षा मानव संसाधन के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज विद्यालयों को मानव संसाधनों के निर्माण की दिशा में एक बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह करना है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है। वह विद्यार्थियों की मूल प्रवृत्तियों में परिमार्जन करके उन्हें एक कुशल और सभ्य नागरिक के रूप में परिवर्तन करता है। आज के बालक कल के नागरिक होगें और किसी भी राष्ट्र का भविष्य उन्हीं से जुड़ा होगा। अतः शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह बालकों की निम्न शैक्षिक सम्प्राप्ति के कारणों को जाने तथा उनको दूर करने का हर सम्भव प्रयास करे ताकि वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आने वाली कठिनाईयों को पूरे आत्म विश्वास के साथ हल करने का हर सम्भव प्रयास करे सकें तभी हम एक स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की कल्पना कर सकते है।
शोध का मुख्य उद्देश्य -
प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य कोविड 19 महामारी के कारण बंद पड़े विद्यालयों के विद्यार्थियों में ऑनलाईन शिक्षा के अर्न्तगत उनके शैक्षणिक उपलब्धि पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना था। इसके साथ ऑनलाईन परीक्षा तथा विद्यार्थियों से लिए गये फिड-बैक के आधार पर ऑनलाईन शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करना और उसे रूचिपूर्ण बनाना था।
शोधकर्ता ने दिनांक 1 अप्रेल से 1 जनवरी 2021 बीच माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के अर्न्तगत ऑनलाईन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की रूचि, शैक्षिक सम्प्राप्ति स्तर, विषयगत संबोधों को समझने, तकनीकी शिक्षा का प्रयोग जैसे मौबाईल या लैपटैप पर ऑनलाईन पाठ्यवस्तु को पढ़ने व खोजने, नोट्स व वीडियों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने, ऑनलाईन कक्षाओं तथा परीक्षा में प्रतिभाग, सोशल मीडिया आदि के प्रयोग से उनके शैक्षणिक उपलब्धि में वृद्धि के प्रभाव का अध्ययन से सम्बन्धित ऑनलाईन शोध कार्य किया गया। उन्होंनें शोध कार्य के लिए पुरे राज्य से राजकीय तथा अशासकीय विद्यालयों से 490 से अधिक विद्यार्थियों का चयन किया जो कक्षा 12 में सक्रिय रूप से ऑनलाईन शिक्षण कार्यों में प्रतिभाग करते है। इसके लिए उन्होंनें गुगल फार्म में शोध कार्य के लिए प्रश्नवली तैयार की और उसे विभिन्न सोश्ल मीडिय और विषय अध्यापकों की सहयता से विद्यार्थियों तक पहॅुचाया।
आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण -
शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की ऑनलाईन शिक्षा से विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है अगर प्रत्येक दिन उनकी ऑनलाईन क्लासेस फेस टू फेस हो। इसके साथ अध्यापकों द्वारा ई-कंन्टेन्ट, नोटस, वीडियों और समय-समय पर ऑनलाईन परीक्षा का आयोजन करते रहे तो विद्यार्थी विद्यालय की तरह ही धर में सुरक्षित रह कर ऑनलाईन शिक्षा प्राप्त कर सकता है। विद्यालय, शिक्षक और अभिवकों को भी विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाईन शिक्षण कार्य की जानकारी होने के साथ उस पर पूर्ण नियंत्रण भी होना चाहिए। इसके साथ राज्य सरकारों और सरकारी विद्यालयों को भी ऑनलाईन शिक्षा प्रणाली को बेहतर विकल्प को मानते हुये अपने संसाधानों को बढ़ाना चाहिए। शिक्षकों को ऑनलाईन शिक्षा का उचित प्रशिक्षिण देना चाहिए और जरूरत मंद विद्यार्थियों को संसाधन उपल्बध करने चाहिए, जिससे प्रत्येक विद्यार्थी को गुणवŸापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।
ई-पाठशाला में लाइव क्लास व ऑनलाइन मूल्यॉकन
शोधकर्ता ने कोरोना महामारी की इस धड़ी में बच्चों को पढ़ाने के लिए ई-केन्टेन्ट तथा वीडियो कांफ्रिसिंग के माध्यम से नया तरीका खोज निकाला है जिसमें इंटरमीडिएट बोर्ड की कक्षओं के विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लास का आयोजन किया। जिसमें विद्यार्थियों को ऑनलाइन गृह कार्य, शिक्षक द्वारा तैयार किये गये ई-सम्रागी और ऑनलाईन मूल्यॉकन कार्य किया गया। वे छात्रों का व्हाट्सएप गुरूप बना कर उसमें वीडियों, नोटस आदि की जानकारी साज्ञा करते रहे। इसके साथ शोधकर्ता ने गुगल क्लास रूम, गुगल मीट तथा जूम एप के माध्यम से ऑनलाइन क्लास का संचालन भी किया जिसमें विद्यार्थी प्रत्येक्ष रूप से लाईव रहा कर शिक्षा प्राप्त करते थे। इसके साथ प्रत्यक विषय संबोध को पढ़ाने के बाद शोधकर्ता ऑनलाइन परीक्षा से छात्रों का मूल्यॉकन भी करते रहा। शोधकर्ता ने ऑनलाईन मूल्यॉकन के लिए गुगल फार्म, एच050पी0, मौबाईल ऐप आदि का प्रयोग किया। परीक्षा का लिंक ई-मेल और व्हाट्सएप पर विद्यार्थियों को भेजते थे। इसके शोधकर्ता ने एन0सी0और0टी0 द्वारा ई-पाठशाल, दिक्षा ऐप और गुरूशाला ऐप आदि के माध्यम से भी ऑनलाईन पाठ्यक्रम की भी जानकारी विद्यार्थियों को उपल्बध कराई।
शोधकर्ता ने 10 अप्रेल से 1 जनवरी तक सभी विद्यालय के अध्यापकों ने अपने विषय में ऑनलाईन शिक्षा देने का प्रयास किया है। इस को ध्यान में रखते हुये यह शोध कार्य किया गया की ऑनलाईन शिक्षण कार्यो का लाभ विद्यार्थियों को हुआ की नहीं। विद्यार्थियों से ऑनलाईन प्रश्नवाली के आधार पर पुछे गये प्रश्न से रोचक जानकरी प्राप्त हुई। शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर ऑनलाईन शिक्षा का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को नवचारी नई शैक्षिक तकनीकि के माध्यम से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई।
1. शोधकर्ता ने ऑनलाईन शिक्षण कार्य पर ऑनलाईन शोध के लिए उतराखण्ड के 13 जिलें से 449 और अन्य राज्य जैसे उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान के लगभग 41 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस प्रकार कुछ 490 विद्यार्थियों का चयन शोध कार्य के लिए किया गया।
2. ऑनलाईन शिक्षण कार्य में सबसे जादा हरिद्वार 27.6 तथा 24.4 अलमोड़ जिले के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
3. 62 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया की उन्हें अर्थशास्त्र की ऑनलाईन परीक्षा में प्रतिभाग करने में बड़ा मजा आया। 54 प्रतिशत विद्यार्थियों बताया की ऑनलाईन परीक्षा में साज्ञा किये गये वीडियों बहुत रूचिपूर्ण और बौधिक थे।
4. 93.1 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा की अगर दुबार अर्थशास्त्र की परीक्षा होगी तो वे अवश्य की प्रतिभाग करेगें। 85.3 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ऑनलाईन परीक्षा की जानकारी अपने विषय अध्यापक से प्राप्त की।
5. 95 प्रतिशत ने ऑनलाईन परीक्षा मौबाईल से, 2 प्रतिशत ने लैपटैब से और 1 प्रतिशत ने साईबर कैफे में जा कर ऑनलाईन परीक्षा दी।
6. 47.3 प्रतिशत ने बताया की उनकी यहॉ पर नेटवक्र ठीक रहता है, 22.9 प्रति0 विद्यार्थियो ने बताया की इन्टनेट बहुत स्लो रहता है वीडियों को देखने में समय लगता है और 10 प्रति0 विद्यार्थियों ने बताया की उन्हें ऑनलाईन परीक्षा तथा कार्य के लिए दूसरों के मौबाईल पर निर्भर रहना पड़ता है।
7. कोविड19 के समय विद्यालय बंद होने से विद्यार्थियों द्वारा 88.3 प्रतिशत व्हाट्सएप, 10 प्रतिशत गुगल मीट तथा जूम ऐप से ऑनलाईन शिक्षा प्राप्त की।
8. 54.2 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया की उनको कोपी या औफलाईन परीक्षा देना अच्छा लगाता है। 45.8 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ऑनलाईन परीक्षा देने अच्छा लगता है।
9. केवल 24.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की लोकडाउन के समय विद्यालय ने ऑनलाईन शिक्षण कार्यो के लिए उचित संसाधन उपल्ब कराये। 23.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की विद्यालय ने ऑनलाईन शिक्षण कार्यो के लिए बहुत कम सहयता की।
10. 40 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की ऑनलाईन शिक्षण कार्य में विषय अध्यापक का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण रहा।
11. 47.9 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे 1 से 2 धण्टे और 34.2 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे 2 से 3 धण्टे प्रत्येक दिन ऑनलाईन शिक्षण कार्य के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते है।
12. 60.4 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना की वे अपने विषय अध्यापक द्वारा भेजे गये ई - सम्रागी का प्रयोग करते है। 23.3 प्रतिशत ने माना की वे यूटयूब से, 10 प्रतिशत ने शिक्षाप्रद वेबसाईट, 5 प्रतिशत ने ई बुक और बाकी ने गुगल तथा जूम क्लासेस को ऑनलाईन शिक्षा के लिए चुना।
13. इसके साथ विद्यार्थियों से पुछे गये ऑनलाईन शिक्षण कैसे बेहतर बनाने जा सकता है, मैं विद्यार्थियों ने बहुत रोचक तथा ज्ञानवर्धक जानकारी साझा की।
विषय को गतिविधि तथा प्रदर्शन विधि से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि हुई। माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय के सभी सम्बोधों एव उपसम्बोधों को इस विधि से पढ़ाने पर विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि जाग्रत की जा सकती है। विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर मिला है। अतः गुणवतापूर्वक शिक्षा के लिए विद्यार्थियों के अनुरूप विभिन्न क्रियाकलापों की आवश्यक्ता है। विद्यार्थियों के अनुरूप कक्षा में वास्ताविक जीवन से ,जुडे क्रियाकल्पों तथा खेल एवंम नवचारी शिक्षण की आवश्यक्ता है। राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति, रटन प्रणाली से मुक्ती, समझ प्रणाली का निर्माण आदि।
निष्कर्ष - कोविड19 के फलस्वरूप शिक्षा का एक मात्र विकल्प ऑनलाईन शिक्षा था। इसलिए शोधकर्ता ने इस विषय को चुना। शोध के क्रियाव्यन के फलस्वरूप प्राप्त आँकड़ों के संख्याकिय विशलेक्षण के बाद पाया गया की विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर ऑनलाईन शिक्षा का सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। विषय को नवचारी नई शैक्षिक तकनीकि के माध्यम से पढ़ाने पर उनकी समझ और रूचि में वृद्धि। कम संसाधनों तथा नई तकनीकि के माध्यम से अच्छी शिक्षा देना एक चुनौती था। ऑनलाईन शिक्षा, विद्यार्थियों को स्वंय सीखने का अधिक अवसर प्रदान करती है और नई राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अनुकूल है।
प्रदीप नेगी
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इण्टर कालेज भेल हरिद्वार
मोबाइल 9720893445